बाबा रामदेव पर तीखा हमला: “पर्ची पाखंड है या चमत्कार, देश को बताएं बाबा रामदेव” – राजर्षि महंत एकनाथ महाराज

बलराम मौर्य / बालजी हिन्दी दैनिक
अयोध्या धाम l अयोध्या से ओजस्वी फाउंडेशन के अध्यक्ष एवं उत्तराधिकारी जगतगुरु परम्हँस आचार्य राजर्षि महंत एकनाथ महाराज ने बाबा रामदेव पर तीखा हमला बोलते हुए बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि मुझे एक बात का गहरा अफसोस है, जिसे मैं आज मीडिया और पूरे देश के सामने स्पष्ट करना चाहता हूं। बाबा रामदेव ने देश में योग और आयुर्वेद को जन-जन तक पहुंचाया, स्वदेशी उत्पादों के माध्यम से लोगों को रोजगार दिया और भारत की अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन कार्यों के लिए समाज के सभी वर्गों ने उनकी प्रशंसा की। लेकिन पांच साल पहले जिन बाबा रामदेव ने अपने चैनल पर आकर अंधश्रद्धा, टोना-टोटका, नींबू-मिर्ची, नारियल, विभूति, मंगल-शनि जैसे कर्मकांडों का विरोध किया था, आज वही बाबा रामदेव बागेश्वर धाम सरकार के दरबार में प्राइवेट जेट से पहुंचकर माला अर्पित करते हैं और उनकी सराहना करते हैं। सवाल यह है कि क्या अब बाबा रामदेव उस पर्ची को चमत्कार मानते हैं, जिसे उन्होंने पहले पाखंड बताया था? महंत एकनाथ महाराज ने चुनौती देते हुए कहा कि अगर बाबा रामदेव इस पर्ची को हनुमानजी का चमत्कार मानते हैं, तो मीडिया के सामने आकर स्पष्ट कहें कि यह कोई पाखंड नहीं है, बल्कि एक दैवी शक्ति है। लेकिन अगर वे ऐसा नहीं कहते तो यह माना जाएगा कि वे पाखंड को बढ़ावा दे रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि बाबा बागेश्वर इस समय कुबेर के स्थान पर बैठे हैं और बाबा रामदेव उनके आगे नतमस्तक इसलिए हो रहे हैं कि कहीं कोई दूसरा उनके समान प्रतिस्पर्धी न बन जाए। उन्होंने पूछा कि क्या बाबा रामदेव पर्ची देखकर झुक रहे हैं या बागेश्वर धाम के धन के भंडार को देखकर? यह देश और धर्म के लिए खतरनाक संकेत है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि अंधविश्वास हमेशा से समाज के लिए घातक रहा है, और हमें इसके विरुद्ध सख्त कानून बनाना चाहिए। अंधविश्वास धर्म पर लगा सबसे बड़ा कैंसर है, और इसे जड़ से समाप्त करना जरूरी है। महंत ने रामायण का उदाहरण देते हुए कहा कि जब भगवान राम वनवास में थे और सीता माता का हरण हुआ, तब राम को भी यह नहीं पता था कि सीता कहां हैं। जब हनुमान जी से मिले, तब उन्होंने भी आंखें बंद कर “वाई-फाई” से नहीं देखा कि सीता अशोक वाटिका में हैं, बल्कि परिश्रम से जाकर खोजा। अगर हनुमान जी को भी भविष्य देखने की शक्ति होती, तो उन्हें सीता को ढूंढने की जरूरत नहीं पड़ती। इसलिए जो आज हनुमान जी के नाम पर पर्ची बांटते हैं और खुद को दिव्यदृष्टा कहते हैं, वे लोगों को भ्रमित कर रहे हैं और रामभक्त हनुमान को बदनाम कर रहे हैं। महंत ने अयोध्या के प्रसिद्ध हनुमानगढ़ मंदिर का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां हजारों वर्षों से संत-महंत सेवा में लीन हैं, लेकिन आज तक किसी को भी हनुमान जी ने कोई ‘वाई-फाई’ या पर्ची नहीं दी। क्या इसका मतलब यह है कि हनुमान जी अब बागेश्वर धाम चले गए हैं? उन्होंने एक ऐतिहासिक घटना का जिक्र करते हुए बताया कि एक बार आतंकियों ने हनुमानगढी मंदिर में बम रख दिए थे, जिनमें से एक बम आखिरी समय में वानर रूप में आए किसी ने डिफ्यूज कर दिया। यह सिद्ध करता है कि हनुमान जी अपने भक्तों की रक्षा करते हैं, लेकिन ढोंग और प्रचार से नहीं, सेवा और भक्ति से।
महंत ने देशवासियों से अपील की कि वे पाखंड और दिखावे से दूर रहें, सच्चे हनुमान भक्त बनें और अगर किसी को कोई समस्या है तो वह सीधे हनुमानगढी जाकर साक्षात हनुमानजी के चरणों में प्रार्थना करे। उन्होंने कहा कि मेरा विश्वास है, अयोध्या के हनुमानगढी के हनुमान जी, जो साक्षात राम के साथ विराजमान हैं, वह आपकी मनोकामनाएं जरूर पूर्ण करेंगे।
बात के अंत में महंत ने बाबा रामदेव से अपील करते हुए कहा कि वे मीडिया के माध्यम से साफ करें कि पर्ची चमत्कार है या पाखंड, ताकि देश भ्रम की स्थिति में न रहे। नहीं तो यह समझा जाएगा कि वे स्वयं भी अंधविश्वास और पाखंडवाद को बढ़ावा दे रहे हैं।