अयोध्या में हनुमानगढ़ी की संपूर्ण विश्व में मर्यादा और गरिमा विराजमान

पंचायती व्यवस्था अटूट, व्यक्तिगत विवादों से हनुमानगढ़ी को दूर रखें – संतों की दो टूक
बालजी हिन्दी दैनिक
अयोध्या धाम । बजरंगबली की प्रतिष्ठित पीठ हनुमानगढ़ी को लेकर चल रहे विवाद पर अब संत समाज ने स्पष्ट रुख अपना लिया है। मंगलवार को सागरिया पट्टी के श्रीमहंत , धर्मसम्राट ज्ञानदास जी महाराज के उत्तराधिकारी और संकटमोचन सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत संजय दास ने प्रेसवार्ता कर कहा कि हनुमानगढ़ी की संपूर्ण विश्व में मर्यादा और गरिमा है, इसे किसी भी विवाद में नहीं घसीटा जा सकता।महंत संजय दास ने तपस्वी छावनी के महंत परमहंसाचार्य द्वारा दिए गए इस बयान को निराधार बताया कि “पूरी हनुमानगढ़ी उनके साथ है।” उन्होंने स्पष्ट किया कि हनुमानगढ़ी एक पंचायती व्यवस्था है, जिसे कभी विभाजित नहीं किया जा सकता। “हम सब एक हैं और किसी भी विवादित प्रकरण में हनुमानगढ़ी उनका साथ नहीं देगी,” उन्होंने दो टूक कहा। उन्होंने यह भी बताया कि परमहंसाचार्य को पूर्व में उनके गुरु सर्वेश्वर दास के बाद तपस्वी छावनी आश्रम पर प्रतिष्ठित किया गया था, लेकिन अब उनके आश्रम और उससे जुड़े विवादों की ज़िम्मेदारी उन्हीं की है। “हर विवाद में हनुमानगढ़ी उनका साथ नहीं दे सकती,” उन्होंने जोड़ा। ,निर्वाणी अनी और हरिद्वारी पट्टी के श्रीमहंत मुरली दास महाराज ने कहा कि हनुमानगढ़ी एक सिद्ध और प्राचीन पीठ है, इसका गौरवमयी इतिहास रहा है, जिसे किसी व्यक्तिगत विवाद में नहीं घसीटा जाना चाहिए। बसंतिया पट्टी के श्रीमहंत रामचरण दास महाराज ने भी पंचायती व्यवस्था के पक्ष में अपनी बात रखते हुए कहा कि हनुमानगढ़ी हमेशा एकजुट रही है और रहेगी। हरिद्वारी पट्टी के युवराज राजेश दास महाराज ने कहा कि हनुमानगढ़ी ने परमहंसाचार्य को एक बार प्रतिष्ठित किया था, अब वह अपने विवाद खुद सुलझाएं। “हनुमानगढ़ी किसी विवाद में नहीं पड़ती और न ही पड़ेगी,” उन्होंने कहा। निर्वाणी अनी के महासचिव सत्यदेव दास महाराज ने भी स्पष्ट किया कि हनुमानगढ़ी एक सम्मानित सिद्धपीठ है जो हमेशा सत्य के साथ खड़ी रहती है और गलत का समर्थन नहीं करती। इस प्रेसवार्ता में हनुमानगढ़ी के पुजारी हेमंत दास एवं शिवम श्रीवास्तव सहित कई संत-महंत मौजूद रहे। बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि हनुमानगढ़ी को किसी भी विवादित मुद्दे से दूर रखा जाएगा।