उत्तर प्रदेशगोण्डा

कोटिया मदारा-अहियाचेत मार्ग पर अवैध कब्जा: ग्रामीणों की आवाज दबाने की कोशिश, प्रशासनिक निष्क्रियता से उपजा जन आक्रोश

अमित मिश्रा
बी न्यूज़ दैनिक

कटरा बाजार
गोण्डा जिले के करनैलगंज तहसील क्षेत्र के ग्राम कोटिया मदारा और अहियाचेत के मध्य स्थित एक प्रमुख सार्वजनिक मार्ग पर अवैध कब्जे का मामला सामने आया है, जिसने न सिर्फ ग्रामीणों की दिनचर्या को प्रभावित किया है, बल्कि प्रशासन की निष्क्रियता पर भी गंभीर प्रश्नचिन्ह खड़े कर दिए हैं। लगभग 7 मीटर चौड़े इस संपर्क मार्ग (गाटा संख्या-562) को विपक्षी व्यक्तियों द्वारा अवैध रूप से कटीले तार घेरकर खेती योग्य भूमि में बदल दिया है । कोटिया मदारा और अहियाचेत गांवों को जोड़ने वाला यह सार्वजनिक मार्ग दोनों गांवों के निवासियों के लिए जीवनरेखा जैसा है। यही रास्ता स्कूल जाने वाले बच्चों, किसानों, व्यापारियों और सामान्य राहगीरों का प्रमुख आवागमन मार्ग है। किंतु बीते कुछ समय से यह मार्ग कुछ स्थानीय व्यक्तियों संतोष कुमार, विजय कुमार, राजबाबू पुत्रगण मधुर श्याम व मधुर श्याम पुत्र प्रताप नरायन आदि द्वारा लोहे के कटीले तार लगाकर घेर लिया है। इन लोगों ने इस मार्ग पर ट्रैक्टर से जोताई-बोआई करते है, जिससे यह मार्ग अब सामान्य आवागमन के लिए अवरुद्ध हो गया है। प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए प्रार्थी दीप नरायन शुक्ला उर्फ दीपक शुक्ला ने जिलाधिकारी गोण्डा को प्रार्थना पत्र देकर तत्काल संज्ञान लेने की मांग की थी ।जिसके क्रम में 10 जून 2025 को राजस्व विभाग की टीम मौके पर पैमाइश करने पहुंची थी। मौके की पुष्टि हुई कि जमीन सार्वजनिक मार्ग की है, न कि निजी संपत्ति।लेकिन इसी दौरान पुलिस सुरक्षा में नियुक्त उप निरीक्षक (एसआई) रमाशंकर यादव बिना किसी स्पष्ट कारण के मौके से हट गए। उनके हटते ही मौके पर मौजूद विपक्षीगणों ने बाहरी लोगों को बुलाकर राजस्व कर्मचारियों को डराने-धमकाने की कोशिश की। स्थिति तनावपूर्ण होने के कारण राजस्व टीम को भी कब्जा हटाने की कार्रवाई बीच में रोकनी पड़ी।वहीं दीपक शुक्ला ने उप जिलाधिकारी करनैलगंज और थाना कौड़िया के एसएचओ से मांग की है कि सार्वजनिक रास्ते को तत्काल अतिक्रमण से मुक्त कराया जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए। उन्होंने यह भी कहा कि यदि प्रशासन निष्क्रिय रहा, तो क्षेत्र में कानून व्यवस्था बिगड़ सकती है। गांव के कई लोगों ने संयुक्त रूप से चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र ही इस मामले में ठोस कार्रवाई नहीं की गई, तो वे धरना-प्रदर्शन से लेकर जिलाधिकारी कार्यालय का घेराव करने तक की योजना बना सकते हैं।ग्रामवासियों में गहरी नाराजगी देखी जा रही है और उनका यह भी कहना है कि प्रशासन के इस प्रकार के ढीले रवैये से अवैध कब्जेदारों के हौसले बुलंद हो रहे हैं। स्थानीय कानून विशेषज्ञों के अनुसार, यदि गाटा संख्या-562 राजस्व अभिलेखों में ‘सार्वजनिक उपयोग की भूमि’ के रूप में दर्ज है, तो उस पर किसी प्रकार का निजी उपयोग चाहे वह खेती ही क्यों न हो पूर्णतः अवैध है और उत्तरदायी व्यक्ति भारतीय दंड संहिता की धारा 447 (अवैध प्रवेश) और 186 (लोक सेवक के कार्य में बाधा) के तहत दंडनीय अपराध है। यह मामला केवल एक मार्ग पर अवैध कब्जे का नहीं है, बल्कि यह ग्रामीणों के अधिकारों, प्रशासनिक जवाबदेही, और कानून के शासन की परीक्षा का मामला है। यदि जिला प्रशासन समय रहते प्रभावी कदम नहीं उठाता है, तो यह एक साधारण विवाद से उग्र जन आंदोलन का रूप ले सकता है, जिसकी चपेट में क्षेत्र की सामाजिक शांति भी आ सकती है।अब देखना यह है कि प्रशासन इस चुनौती को कैसे संभालता है क्या वह ग्रामीणों के अधिकारों की रक्षा करता है, या फिर कानूनी प्रक्रिया को टालमटोल का शिकार बनाकर अवैध कब्जेदारों को अप्रत्यक्ष संरक्षण देता है।

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