भीषण आंधी-तूफान से कर्नलगंज के कई गांव प्रभावित, जनजीवन अस्त-व्यस्त,ग्रामीणों में आक्रोश

ग्रामीणों का आरोप है कि प्रभावितों के सत्यापन और सहायता में किया जा रहा पक्षपात।
प्रशासन की उदासीनता से नाराज़ ग्रामीणों ने प्रदर्शन कर मजरेवार जांच,राहत सामग्री व आर्थिक सहायता दिलाने की उठाई मांग
अनिल कुमार द्विवेदी
बी न्यूज दैनिक
गोंडा। जिले के कर्नलगंज क्षेत्र में बीते सप्ताह आये भीषण आंधी-तूफान ने भारी तबाही मचाई है। इसके प्रभाव से कर्नलगंज क्षेत्र के करीब 80 मजरों व दर्जनों गांवों में जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है। सरैंया, सकतपुर, कंजेमऊ समेत कई ग्राम पंचायतों में भारी नुकसान हुआ है। सैकड़ों बिजली के पोल और दर्जनों ट्रांसफॉर्मर गिरने से विद्युत आपूर्ति पूरी तरह ठप है। पेड़ गिरने से सड़क मार्ग अवरुद्ध हो गया है,जिससे बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है। गांवों में सैकड़ों घरों के टीन शेड, छप्पर उड़ गए हैं, जिससे ग्रामीणों की गृहस्थी का सामान नष्ट हो गया है। ग्राम सरैंया के अघेरवा निवासी देवता प्रसाद मिश्र और गणेश प्रसाद मिश्र के टीन शेड और छप्पर गिरने से उनका गृहस्थी का सारा सामान नष्ट हो गया है। इसी मजरे में विद्युत पोल टूटकर गिर गए हैं, जिससे लोग अंधेरे में रह रहे हैं। इसी गांव के एक दूसरे मजरे में सूर्यलाल और माधुरी सहित कई ग्रामीण चोटिल हैं,जबकि लल्ला तिवारी और संतराम निषाद के टीन शेड भी उड़ चुके हैं। रामपाल सिंह की गर्भवती गाय घायल अवस्था में पड़ी है, लेकिन इलाज की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। ग्राम सरैंया की जनसंख्या लगभग 10 हजार है,जहां 10 से 12 ट्रांसफॉर्मर और करीब 70 विद्युत पोल क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। जबकि मोल्हे की बेटी की आगामी 30 अप्रैल को होने वाली शादी पर संकट खड़ा हो गया है क्योंकि उनका घर उजड़ गया है और अनाज भीग गया है। वहीं गोली नामक ग्रामीण की बकरी छप्पर गिरने से दबकर मर गई है। बुधना सहित कई अन्य ग्रामीणों का टीन शेड और छप्पर पूरी तरह उड़ गए हैं। इन हालातों के बावजूद एक सप्ताह बीतने के बाद भी प्रशासनिक अधिकारियों और कर्मचारियों ने सभी प्रभावित गांवों का स्थलीय निरीक्षण नहीं किया है। ग्रामीणों का आरोप है कि प्रभावितों के सत्यापन और सहायता में पक्षपात किया जा रहा है। प्रशासन की उदासीनता से नाराज़ ग्रामीणों ने प्रदर्शन कर मजरेवार जांच, राहत सामग्री व आर्थिक सहायता की मांग की है। ग्राम सरैंया, सकतपुर, कंजेमऊ और अन्य प्रभावित गांवों में बिजली बहाल नहीं हुई है। मोबाइल डिस्चार्ज होने से संपर्क साधन ठप हैं,और भीषण गर्मी के चलते लोगों को रात में नींद तक नसीब नहीं हो रही। बच्चों की पढ़ाई भी बाधित हो गई है। ग्रामीणों का कहना है कि हाईटेंशन लाइनें सड़कों पर गिरी पड़ी हैं, जो गंभीर दुर्घटनाओं को न्योता दे रही हैं। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि सभी प्रभावित मजरे व गांवों का तत्काल निरीक्षण कराकर पीड़ितों को राहत पहुंचाई जाए और विद्युत आपूर्ति जल्द से जल्द बहाल की जाए। इस आपदा में सैकड़ों लोग प्रभावित हुए हैं,जो सरकार से मदद की आस लगाए बैठे हैं।