अयोध्याउत्तर प्रदेश

भ्रष्टाचार का नया ज़रिया एक महिला 4 बार फोटोशूट.!

मयाबाजार में भ्रष्टाचार की नई तस्वीर!

मनरेगा में माया या मनमानी रोजगार गारंटी.!

70 मज़दूरों के मास्टर रोल 39 की उपस्थिति मे चार फर्जी !

बालजी हिन्दी दैनिक
अयोध्या। जहां एक ओर देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की डबल इंजन सरकार “भ्रष्टाचार मुक्त भारत” का सपना लेकर आगे बढ़ रही है, वहीं दूसरी ओर अयोध्या जनपद के विकासखंड मयाबाजार में हकीकत इससे उलट दिखाई दे रही है। ग्राम पंचायत सारंगपुर में मनरेगा कार्यों में भ्रष्टाचार की बुलेट ट्रेन से तेज रफ्तार पकड़ चुकी है।
4 जून 2025 को ग्राम सचिव वैभव पांडे, जो निरीक्षण के लिए नियुक्त थे, खुद फोटोशूट अभियान का हिस्सा बने। और फिर 7 जून 2025 को सुबह 10:51:31 बजे से एक “फोटोशूट अभियान” चलाया गया, जिसकी अपलोडिंग 11:01:25 बजे तक पूरी कर दी गई — मात्र 10 मिनट में! एम.एस.आर. नंबर: 1903, 1904, 1905, 1906, 1907, 1908, 1909
मुख्य पात्र: अर्चना राजभर पुत्री टिन्कू राजभर का जॉब कार्ड संख्या 82 (MSR 1903, 1905, 1908,1909), विजय प्रसाद पुत्र स्व. राम आसरे का जॉब कार्ड संख्या 162 (MSR 1903, 1905) ये छायाचित्र मनरेगा साइट पर अपलोड कर दिए गए।मास्टर रोल में दर्ज 70 मज़दूरों के नामों में से सिर्फ 39 की उपस्थिति दिखाई गई। बाकी के नाम केवल कागज़ों पर?अर्चना राजभर चार फोटो मे और विजय प्रसाद दो फोटो में नजर आ रहे हैं । जांच अधिकारियों के नजरों में क्यों नहीं आ रहे..?
जांच अधिकारी ही बने “नाटक” के किरदार मामले की गंभीरता तब और बढ़ गई जब सामने आया कि जिन अधिकारी को कार्य सत्यापन करना था, वही फोटोशूट अभियान का हिस्सा बन गये । कार्य का नाम था: “प्राथमिक विद्यालय के बगल तालाब खुदाई” जब की ज़मीनी हकीकत कुछ और ही दर्शा रही है।
जांच के नाम पर खानापूर्ति..? पत्र संख्या-916 (दिनांक 27.05.2025) के तहत ग्राम पंचायत में पारदर्शिता और सत्यापन के निर्देश दिए गए थे।
बाद में 06 जून 2025 को पत्रांक-1073/मनरेगा/एनएमएमएस के माध्यम से एक नई जांच टीम का गठन किया गया: चन्द्रेश कुमार (तकनीकी सहायक) श्याम बहादुर यादव (अतिरिक्त अभियंता – लघु सिंचाई) अमित कुमार सिंह ( ISB) लेकिन महिला मेट सुमन राजभर ने फोटोशूट अभियान चलाकर सिस्टम की आँखों में धूल झोंकने का काम किया।
अब सवाल ये उठता है…क्या मनरेगा का अर्थ अब “मनमर्जी से रोजगार गारंटी” हो गया है!
क्या मजदूरों से ज़्यादा भुगतान का खेल चल रहा है!!
ग्रामवासियों ने उठाई आवाज़ ग्रामवासी मनोज दुबे, दुर्गेश मिश्रा, राकेश मिश्रा समेत कई लोगों ने भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाई है। शिकायतें विकासखंड कार्यालय से लेकर मुख्यमंत्री तक भेजी गईं हैं, लेकिन कार्रवाई अभी अधर में है। मनरेगा जैसी जनकल्याणकारी योजना को कुछ लोग ‘मनोरेगा’ (मनमानी रोजगार गारंटी) बना रहे हैं।
जब जांचकर्ता ही जांच के पात्र बन जाएं, तो सवाल बड़ा है — कार्रवाई कब होगी? दोषियों पर लगाम कब लगेगी…?

बयान – शिकायतकर्ता

1-: मनोज दुबे कहा की “मनरेगा जैसी जनकल्याणकारी योजना में लगातार श्रमिकों की फर्जी फोटो खिंचवा कर ‘हाजिरी’ भर दी जा रही है, जिससे सरकारी धन का दुरुपयोग हो रहा है। हो रहे भ्रष्टाचार पर सख्त कार्यवाही मांग की।

2-: दुर्गेश मिश्रा,कहा की प्रशासन से यह मांग करता हूँ कि फर्जी फोटोशूट करने वाले श्रमिकों और सहयोगी और अधिकारियों के विरुद्ध तत्काल कानूनी कार्यवाही सुनिश्चित की जाए। जब तक इन पर ठोस कार्रवाई नहीं की जाएगी, तब तक मनरेगा में पारदर्शिता और ईमानदारी स्थापित नहीं हो सकती।

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