
रायपुर/ नारायणपुर: नक्सल ऑपरेशन के लिए सुर्खियों रहा नारायणपुर जिला आज पंडीराम मंडावी के कला और वाद्य यंत्रों की धुन पर झूम रहा है. अबूझमाड़ के गढ़बेंगाल निवासी पंडीराम मंडावी को नई दिल्ली में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया है.
काष्ठ शिल्प कला और वाद्य यंत्र निर्माण में पद्मश्री: यह सम्मान उन्हें जनजातीय वाद्य यंत्र निर्माण और काष्ठ शिल्प कला के क्षेत्र में उनके अद्भुत एवं उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रदान किया गया है. इस सम्मान के मिलने के बाद छत्तीसगढ़ में खुशी की लहर दौड़ गई. प्रदेश के राजनेता पंडीराम को बधाई दे रहे हैं. सीएम विष्णुदेव साय ने इस सम्मान पर खुशी जताई है. उन्होंने पंडीराम मंडावी को बधाई दी है.
यह सम्मान छत्तीसगढ़ की जनजातीय प्रतिभा और सांस्कृतिक समृद्धि का गौरवपूर्ण प्रतीक है. पंडीराम मंडावी ने अपनी साधना से यह सिद्ध किया है कि हमारी मिट्टी की कला विश्वपटल पर छा सकती है. यह पद्मश्री सम्मान बस्तर की लोकपरंपरा, शिल्प और सांस्कृतिक चेतना को राष्ट्रीय गौरव दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है- विष्णुदेव साय, सीएम, छत्तीसगढ़
सीएम साय ने आगे कहा कि पंडीराम मंडावी ने गोंड और मुरिया समाज की सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने और आगे बढ़ाने का काम किया है. उनके किए गए प्रयासों ने न केवल बस्तर की कला को राष्ट्रीय मंच दिया, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत भी प्रस्तुत किया है.
पद्मश्री पंडीराम मंडावी के बारे में जानिए
नारायणपुर के गढ़बेंगाल के रहने वाले हैं पंडीराम मंडावी
वे काष्ठ कला और वाद्य यंत्र के निर्माण से जुड़े हैं.
वाद्य यंत्र निर्माण और काष्ठ शिल्पकला के लिए मिला पद्मश्री
जनजातीय वाद्य कला को संरक्षित करने का किया काम
बांसुरी, टेहण्डोंड, डूसीर और सिंग की तोड़ी जैसे वाद्य यंत्र बनाते हैं.
कोटोड़का और उसूर भी करते हैं तैयार
साल 2024 में मिल चुका है दाऊ मंदराजी सम्मान