कागज़ी योजनाएं और ज़मीनी हकीकत निगोहां में स्वच्छता मिशन की पोल खोलती सच्चाई

मोहनलालगंज, लखनऊ। सरकार द्वारा चलाए जा रहे स्वच्छ भारत मिशन का उद्देश्य गांव-गांव में स्वच्छता लाना और लोगों को खुले में शौच से मुक्ति दिलाना था। लेकिन निगोहां ग्राम पंचायत की हालत इस मिशन की असल स्थिति को उजागर कर रही है।यहाँ सुलभ शौचालय सिर्फ कागज़ों में मौजूद हैं, जबकि गांव की जनता आज भी खुले में शौच जाने को मजबूर है। इससे न सिर्फ महिलाओं की गरिमा पर चोट हो रही है, बल्कि स्वास्थ्य संबंधी खतरे भी बढ़ रहे हैं।ग्रामीणों का यह भी है शौचालय निर्माण में भारी गड़बड़ी हुई है।सरकारी फाइलों में सब कुछ ‘पूरा’ दिखाया गया है, लेकिन हकीकत में शौचालय नदारद हैं या खंडहर बन चुके हैं।गांव के सामाजिक कार्यकर्ता सौरभ सिंह ने इस मामले में लिखित शिकायत दर्ज कर, प्रशासन से पारदर्शी जांच की मांग की है।
सामुदायिक केंद्र बना निजी सुविधा केंद्र…….
निगोहां गांव का सामुदायिक केंद्र जो ग्रामवासियों की सुविधा के लिए बना था, आम ग्रामीणों को प्रवेश तक नहीं मिल रहा।यह एक उदाहरण है कि कैसे सार्वजनिक संपत्ति पर निजी कब्जा कर, ग्राम स्तर की योजनाओं को पंगु बना दिया गया है।गांव के लोग सवाल कर रहे हैं कि जब सबकुछ अधिकारियों की जानकारी में है, तो कार्रवाई क्यों नहीं होती।विकास खंड अधिकारी का बयान मात्र एक औपचारिकता बनकर रह गया है।शिकायत मिली है, जांच कर कार्रवाई की जाएगी।यह पूरे देश के उन गांवों की आवाज़ है जहाँ विकास सिर्फ पोस्टरों और भाषणों में दिखाई देता है।
अगर अब भी हम नहीं जागे, तो आने वाली पीढ़ियों को भी यही झूठे वादे विरासत में मिलेंगे।आइए, मिलकर आवाज़ उठाएं ताकि विकास सिर्फ योजना न रहे, बल्कि हकीकत बने।
यदि आपके गांव या इलाके में भी ऐसी कोई समस्या है, तो उसे सामने लाएं आपकी चुप्पी, व्यवस्था की ताकत बन जाती है।