मानक विहीन चल रहे संस्कृत विद्यालयों के नाम पर हो रहा खेल , शिक्षा विभाग के आलाधिकारी नही करते जाँच


शिक्षको के वेतन के नाम पर प्रतिमाह लाखों रुपये का विभाग को लग रहा चूना
बलराम मौर्य / बालजी हिन्दी दैनिक
अयोध्या। शैक्षिक गुणवत्ता को सुधारने के लिए सरकार विद्यालयों पर लाखो रुपये महीने खर्च करती हैं ताकि विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्रों को बेहतर शिक्षा मिल सके l मामला अयोध्या जिले के तारुन शिक्षा क्षेत्र में एक संस्कृत विद्यालय ऐसा भी है कि जहां अव्यवस्थाओं का ही बोलबाला है। जबकि बच्चों की पढ़ाई के लिए यहां तैनात शिक्षकों को लाखों रुपए प्रतिमाह वेतन के नाम पर खर्च हो रहा है। मामला विकासखंड तारुन स्थित गोस्वामी दुःखी बाबा संस्कृत पूर्व माध्यमिक विद्यालय टिकरी का है। जिसमें कक्षा छह से इंटर तक की कक्षाएं संस्कृत माध्यम से संचालित होती हैं। पंजीकरण रजिस्टर के अनुसार छात्र-छात्राओं की कुल संख्या 84 है। बुधवार को संवाददाता ने गोस्वामी दुःखी बाबा संस्कृत पूर्व माध्यमिक विद्यालय टिकरी की हकीकत जानने के लिए पहुँचा तो देखा की इस दौरान बच्चों के कुल पंजीकरण के सापेक्ष उपस्थिति संख्या 12 ही मौजूद है । इस कॉलेज में प्रधानाचार्य ओमप्रकाश गोस्वामी सहित राजेश कुमार पांडेय, अरुण कुमार ओझा व धनंजय प्रताप गोस्वामी मिलाकर कुल चार शिक्षकों की तैनाती है। यह टीन शेडनुमा बना तीन छोटे कमरों के सहारे चल रहा है। कुछ कक्षाएं पेड़ के नीचे लगी बेंचो के सहारे चल रही हैं। खेल के मैदान न होने से पढ़ रहे बच्चों को शारीरिक दक्षता जैसे कार्य करने में परेशानी उठानी पड़ रही है। यह सरकारी विद्यालय में कैसे तब्दील हुआ जो सवालों के घेरे में है। मानक विहीन कमरे, पर्याप्त जमीन का ना होना यह साबित करता है कि इसकी मान्यता में भी खेल हुआ है। कुछ ग्रामीणों से बात करने पर पता चला कि विद्यालय वास्तविकता में कागज में संचालित है बच्चे कब आते और कब जाते है कोई पता नही l प्रधानाचार्य ओमप्रकाश गोस्वामी ने बताया कि विद्यालय 1990 से चल रहा है। 2016 से हम सभी शिक्षकों का सरकारी वेतनमान मिल रहा है। लेकिन क्या किया जाए किसी तरह से छात्र छात्राओं को पढ़ाया जा रहा है। यह विचारणीय प्रश्न है l वही शिक्षा विभाग के आला अधिकारी समय समय पर निरीक्षण भी करते है l शासन से विद्यालय अनुरक्षण के लिए तमाम धनराशि भी भेजी जाती है l तीन कमरो वाले इस विद्यालय वह भी टीनशेड का मान्यता कैसे मिल गयी l दूसरे मध्याह्न भोजन योजना तो किसके भरोसे संचालित हो रहा है किस अधिकारी की कृपा है यह तो गहन निरीक्षण में पता चल पायेगा l