उत्तर प्रदेशसीतापुर

कन्या पूर्व माध्यमिक विद्यालय के आकाओं ने मनमानी नोटिस देकर रसोइयों को भगाया।

मिश्रिख सीतापुर- मिश्रित नगर क्षेत्र में नगर पालिका कार्यालय के निकट स्थित कन्या पूर्व माध्यमिक विद्यालय में रसोईया पद पर नियुक्त चार महिलाओं ने अपने संयुक्त हस्ताक्षरों से शिकायती पत्र क्षेत्रीय कोतवाली से लेकर आइजीआरएस पोर्टल तक पर दो बार दर्ज कराकर विद्यालय के प्रधानाध्यापक अनुदेशक और रसोइया के रूप में नियुक्त लोगों पर मनमानी एवं अभद्रता करने के साथ ही नौकरी से निकाल देने की धमकी देकर विद्यालय से भाग देने जैसे गम्भीर आरोप लगा कर बीते लगभग 9 मांह पहले शिकायत दर्ज कराई थी जो अभी तक कार्यवाही के अभाव में ढाक के तीन पात ही बनी हुई है। पीड़ित फरियादी महिलाये न्यायोचित कार्यवाही की मांग करते हुई दर-दर भटक रही है जिससे महिला सशक्ती करण का दवा भी यहां हवा हवाई ही साबित हो रहा है जिम्मेदारों की चुप्पी कुछ अलग ही कहानी कह रही है। शिकायत कर्तिनी महिलाओं का आरोप है कि उक्त विद्यालय में नियुक्त प्रधानाध्यापक भानू प्रताप सिंह,अनुदेशक अभिषेक कुमार रावत और रसोईया आदर्श शिकायत करने वाली महिला रसोइयों के साथ आये दिन बदसलूकी करके अभद्रता करने की हदे पार करते हुये छेड़ छाड़ की घटनाओं की को ही अंजाम नहीं देते थे बल्कि विद्यालय के पीछे वाले कमरे में चलकर मीट बनाने के साथ ही शराब के पैक बनाने की भी बात करते थे जिसका विरोध करने पर विद्यालय में कार्यरत उक्त तीनों मनबढो ने बीते आठ मांह पहले एक मनमानी नोटिस तैयार करके शिकायतकर्तियों को ही नहीं दी बल्कि रसोईया पुष्पा देवी से रसोई घर की चाबी छीन कर रसोईया कार्य में लगी चारों महिलाओं को विद्यालय से भगा दिया था। पीड़िताओं का कहना है कि वे सब तब से न्याय की मांग करते हुये प्रार्थना पत्र देकर दर-दर भटकती हुई न्याय की गुहार लगाती घूम रही है। मामले में महिला फरियादियों की समस्या पर जिम्मेदारों व्दारा ध्यान न दिये जाने के कारण महिला सशक्ती करण का दावा भी पूरी तरह खोखला ही साबित हो रहा है। विडम्बना तो यह भी है कि थाना पुलिस से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों के साथ ही मुख्य मन्त्री जनसुनवाई पोर्टल पर भी दो बार दर्ज कराई गई शिकायते कार्यवाही के बजाय अभी तक हवा हवाई ही बनी हुई है। जन चर्चाओं के अनुसार आईजीआरएस शिकायतों का अधिकांशतया फर्जी निस्तारण आख्याओं के सहारे ही जांच कर्ता करा रहे हैं निक्षेपण। मामले में प्रश्न उठता है कि क्या फरियादी महिलाओं को न्याय मिल भी पायेगा या नहीं-? या फिर नक्कारखाने में तूती की तरह ही गायब हो जायेगी पीड़िताओं की गुहार ।

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