उत्तर प्रदेशलखनऊ

सड़कों पर यमराज बनकर दौड़ते हैं बेखौफ ओवरलोडेड वाहन, जिम्मेदार बेखबर…….

मोहनलालगंज। लखनऊ, राजधानी लखनऊ के मोहनलालगंज, निगोहा और नगराम क्षेत्र के गांवों में इन दिनों सड़कों पर ओवरलोडेड वाहनों का आतंक साफ देखा जा सकता है। भूसा ढोने वाले ये वाहन रात के अंधेरे में क्षमता से कई गुना अधिक माल लादकर दौड़ते हैं, जो आए दिन दुर्घटनाओं का बड़ा कारण बन रहे हैं। स्थिति इतनी भयावह है कि कई बार इन ओवरलोड वाहनों के चलते मासूम लोगों को अपनी जान तक गंवानी पड़ी है। हैरानी की बात यह है कि सब कुछ जानते हुए भी जिम्मेदार अधिकारी आंखें मूंदे बैठे हैं।

खतरनाक हालात, जानलेवा यात्रा……

खासतौर पर रायबरेली रोड से जुड़े मार्गों और मदाखेड़ा जैसे इलाकों में रात के समय भूसा से लदे वाहन पूरे रास्ते पर कब्जा जमाकर चलते हैं। इन वाहनों का आकार इतना बड़ा हो जाता है कि आम दुपहिया वाहन चालकों के लिए निकलना किसी चुनौती से कम नहीं होता। जब तक सामने से आ रहे व्यक्ति को स्थिति का अंदाजा होता है, तब तक दुर्घटना हो चुकी होती है।

पुलिस की मौजूदगी के बावजूद बेधड़क दौड़ते वाहन…….

स्थानीय लोगों का आरोप है कि मदाखेड़ा मोड़ और अन्य प्रमुख चौराहों पर पुलिसकर्मी तैनात रहते हैं, लेकिन इसके बावजूद ओवरलोडेड वाहन बेखौफ दौड़ते रहते हैं। इन पर किसी भी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की जाती। ग्रामीणों का कहना है कि पुलिस और परिवहन विभाग की मिलीभगत से ही ये वाहन बेरोकटोक चलते हैं। बार-बार शिकायतों के बावजूद भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

ग्रामीणों में बढ़ता आक्रोश………

ग्रामीणों का गुस्सा अब फूटने लगा है। उनका कहना है कि ओवरलोड भूसा ढोने वाले वाहन पूरी तरह से अधिकारियों की मिलीभगत से संचालित हो रहे हैं। कई बार शिकायत करने के बावजूद कार्रवाई का नामोनिशान नहीं है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र ही इस पर लगाम नहीं लगाई गई तो वे व्यापक विरोध प्रदर्शन करेंगे।

जिम्मेदारों का पक्ष……..

जब इस संबंध में मोहनलालगंज क्षेत्र के एसीपी रजनीश वर्मा से बात की गई तो उन्होंने कहा,
“अगर किसी भी प्रकार का ओवरलोड वाहन सड़कों पर नजर आता है तो उसके खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाएगी। आम जनता की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।”

प्रशासन से सवाल……..

अब बड़ा सवाल यह उठता है कि जब जनता की सुरक्षा को लेकर जिम्मेदार अधिकारी सजग होने का दावा कर रहे हैं, तो फिर सड़कों पर खुलेआम ये जानलेवा वाहन कैसे दौड़ रहे हैं? क्या वाकई भविष्य में कोई ठोस कार्रवाई होगी या फिर यह सिलसिला यूं ही चलता रहेगा?

निष्कर्ष………

जमीन पर हकीकत यह है कि ओवरलोड वाहनों के चलते ग्रामीणों की जान खतरे में पड़ गई है। प्रशासन को अब सिर्फ आश्वासन नहीं, बल्कि प्रभावी कार्रवाई करनी होगी ताकि सड़कों पर सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित हो सके और मासूम लोगों की जान बचाई जा सके।

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